आइये कि सबको फ़िर देशहित ललकार है
आन,बान और शान की फहर जाए तिरंगा
लहराए गगन में करने मस्तक ऊँचा तिरंगा
सेना के जज्बे को खुले दिल से करें सलाम
देशभक्ति का सारे हिन्दुस्तान को हो पयाम
सुरक्षा की जब भी बात हो सीमा में हों एक
देशहित स्वार्थ त्याग कर करें कर्म सब नेक
आइये कि सबको फ़िर देशहित ललकार है
राष्ट्र सुरक्षा सबके जिम्में ऐसा ही दरकार है
जब भी दुश्मन ने सिन्दूर पर घात लगाया है
सेना ने उनको घर में घुस के मार गिराया है
धर्म-जात का भेद न जाना सेना को सलाम
राष्ट्रहित ही सर्वोपरि हमारी सेना को प्रणाम
सोफिया और व्योमिका तुम पर हमें नाज है
नारी शक्ति हो रक्षास्वरूप तुमसे ही आज है
गौतम प्रधान “मुसाफ़िर”
रायगढ़, छत्तीसगढ़
दिनांक 16.05.2025
नेताजी निकल रहे पौध रोपने के लिए,
मीडिया को शीघ्र सूचना ये भिजवाइए।
गड्ढा है तैयार पौध लगने को बेकरार,
बस आप आइए व फोटो खिचवाइए।
खूब कीजिए प्रचार,पौध लगे द्वार-द्वार,
भाषणों से धरा को हरा भरा बनाइए।
सुधि लीजिए न कभी पहले लगी जो पौध,
हर बार बजट को खाइए पचाइए।।नोट- रचना का उद्देश्य भ्रष्टाचार पर चोट करना मात्र है। पर्यावरण योद्धाओं को और उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों को नमन।
कवि प्रदीप महाजन
